०जेपी वर्मा महाविद्यालय में हिन्दी दिवस पर हुआ एक कार्यशाला का आयोजन, ०हिन्दी न केवल एक भाषा है, वरन् भारतीय जीवन की आचार संहिता है : डॉ. विनय पाठक

बिलासपुर। शासकीय जे.पी. वर्मा स्नातकोत्तर कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर डॉ. विनय कुमार पाठक (पूर्व अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग) के मुख्य आतिथ्य, डॉ. श्यामलाल निराला प्राचार्य की अध्यक्षता एवं न्यायमूर्ति चन्द्रभूषण बाजपेयी न्यायाधीश छ.ग., उच्च न्यायालय तथा डॉ. लोकेश कुमार शरण इतिहासकार व विष्णु कुमार तिवारी के विशेष आतिथ्य में उत्साह सहित सम्पन्न हुआ।

कार्यक्रम का शुभारंभ देवी सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ सरस्वती वंदना के द्वारा प्रारंभ हुआ।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. पाठक ने कहा कि हिन्दी न केवल एक भाषा है, वरन् भारतीय जीवन की आचार संहिता है। उन्होंने नागपुर में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन के उद्ेदश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सन् 1975 में ही इस ऐतिहासिक सम्मेलन में हिन्दी के अधिकारिक भाषा होने और विश्व स्तर पर कीर्तिमान होने की बात कही। भारत की एकता की कड़ी को जोड़ने वाली हिन्दी को राष्ट्र की वाणी के रूप में स्वीकार करते हुए उन्होंने विश्व के लगभग 200 विश्वविद्यालयों में हिन्दी के अध्ययन, अन्वेषण को इस दिशा में उल्लेखनीय उपलब्धि निर्दिष्ट किया।
विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति चन्द्रभूषण बाजपेयी ने कहा कि बमुश्किल 02 प्रतिशत लोग ही हिन्दी बोलते और समझते हैं और उनमें भी 50 प्रतिशत लोग घर और बाजार में लोक व्यवहार की दृष्टि से हिन्दी और क्षेत्रीय भारतीय भाषाओं का प्रयोग करते है इसलिए अंग्रेजी से भयाक्रांत होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में हिन्दी और उसकी क्षेत्रीय भाषाओं सहित भारतीय भाषाओं की समृद्धि को भी इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास बताया।
डॉ. लोकेश कुमार शरण ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में कहा कि हिन्दी हमारी संस्कृति की भाषा है किसी भी देश को गुलाम बनाना है तो सबसे उसके पहले उसकी संस्कृति को नष्ट करना होगा। ऐसी मानसिकता लेकर अंग्रेजों ने हमारे देश में अंग्रेजी भाषा का प्रचार-प्रसार किया और काफी हद तक वे सफल रहे। हिन्दी को बढ़ावा देने में कादम्बिनी पत्रिका, प्रेमचंद उपन्यास सम्राट एवं रामवृक्ष बेनीपुरी की माटी मूरतें निबंध संग्रह अपना महत्वपूर्ण स्थान रखते है।
विष्णु कुमार तिवारी ने ‘‘निज भाषा उन्नति चहै, सब भाषा को मूल‘‘ इसके पश्चात् अध्यक्ष की आसंदी से बोलते हुए डॉ. श्यामलाल निराला ने बताया कि हिन्दी विश्व के दूसरे नम्बर की भाषा है। भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम है इसलिए प्रत्येक मनुष्य अपनी भाषा में ज्यादा संवेदनशील और ज्यादा सही अभिव्यक्ति देता है। कुछ बच्चों हिन्दी के विषय में अपने विचार रखें।
कार्यक्रम का संचालन एवं आभार प्रदर्शन श्रीमती चैताली सलूजा के द्वारा किया गया तथा रिर्पोटिंग का काम डॉ. मंजुला पाण्डेय द्वारा किया गया।
