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बिलासपुर

कोटा क्षेत्र के ताटीधार में अवैध रेत उत्खनन जोरो पर,खनिज विभाग की उदासीनता से रेत माफियाओं के हौसले बुलंद, प्रतिदिन सैकड़ों गाड़ियां निकाली जा रही है रेत

बिलासपुर/कोटा। कोटा क्षेत्र में अरपा नदी के किनारे रेत माफिया के द्वारा प्रतिदिन बड़े पैमाने में अवैध रेत उत्खनन किया जा रहा है। जो खनिज विभाग की उदासीनता के चलते नदी की आधी रेत निकाल चुके है।

 ताटीधार,माटी नाला के नदी किनारे दोनो ओर सुबह से शाम तक ट्रैक्टर के द्वारा नदी से रेत निकाली जा रही है। जो सुबह से शाम तक लगातार जारी रहता है। स्थानीय सभी लोगों को इसकी जानकारी है।  ग्राम दार सागर, कोचरा, सोन नवागांव,सोनपुरी इन सभी गांव के नदी किनारे रेत माफिया रेत घाट बनाकर रेत ट्रैक्टर और हाइवा से रेत निकाल रहे है। इसमें स्थानीय कई सरपंच भी शामिल है।

आश्चर्य की बात यह है कि इस क्षेत्र के सभी लोगों को नदी से अवैध रेत निकाले जाने की जानकारी है। लेकिन क्या यह संभव है कि खनिज विभाग को इस बात की जानकारी न हो? जबकि यहां अवैध रेत उखनन इतना जोरो पर है कि आज नदी की आधी रेत इन रेत माफियाओं ने निकाल रखा है। अब नदी सुखी सी नजर आने लगी है।

हमारी टीम जब नदी पहुंची तो मौके पर कई रेत माफिया रेत निकालते पाए गए । जिन्होंने रॉयल्टी दिखाने की बात कहने पर कहा कि शासकीय आवास के लिए पंचायत से अनुमति ले कर रेत निकाल रहे है। तो कुछ लोगों ने CEO से परमिशन ले कर रेत निकालने की बात कही। लेकिन किसी ने भी कोई परमिशन का कागजात नहीं दिखा पाए। इस संबंध में जब हमने CEO से बात कर जानकारी ली तो उन्होंने बता कि इस तरह का कोई भी परमिशन आवास के लिए किसी को नहीं दिया गया है। यदि कोई ऐसा कह रहा है तो वह झूठ बोल रहा है।

आज जिस तेजी से भवन निर्माण का काम हो रहा है, रेत की डिमांड चारों तरफ बढ़ गई है । वही शासकीय रेत घाट कम है । जिससे रेत की मारामारी बढ़ गई है। जिसे लेकर रेत माफिया सक्रिय हो गए है। जो ऐसे घाटों पर नजर रखते है जहां से रेत आसानी से निकाली जा सके और प्रशासन की नजर से भी बचा जा सके। यही कारण है कि कोटा क्षेत्र के टाटीधार नदी तट को इन्होंने अपना टारगेट चुना है,जहां से ये लगातार अवैध रेत उत्खनन कर रहे है। साथ ही क्षेत्र आउटर में होने के कारण यहां ज्यादातर अधिकारी विजिट करने नहीं आते जिसका फायदा भी इन रेत माफियाओं को मिल रहा है।

वही खनिज विभाग की उदासीन से इन रेत माफियाओं के हौसले बुलंद होते जा रहे है । और इस तरह के अवैध रेत उत्खनन से जहां राज्य सरकार को एक बड़े राजस्व की क्षति पहुंच रही है वही जीवंत नदी भी सुख कर मृतप्राय होते जा रही है।

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