भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता अनुमा आचार्य ने मोदी सरकार पर लगाया “मनरेगा” की हत्या का आरोप, कहा लोकसभा में एक नया बिल पास कर दुनिया की सबसे बड़ी रोज़गार गारंटी योजना “मनरेगा” को समाप्त करने की दिशा में बढ़ाया कदम

बिलासपुर। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता अनुमा आचार्य ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने तथाकथित “सुधारों” के नाम पर लोकसभा में एक नया बिल पास कर दुनिया की सबसे बड़ी रोज़गार गारंटी योजना मनरेगा को समाप्त करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि यह कदम महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज, काम की गरिमा और विकेंद्रीकृत विकास की सोच पर सीधा हमला है।

बिलासपुर के एक निजी होटल में आयोजित प्रेसवार्ता में मीडिया से बातचीत करते हुए अनुमा आचार्य ने कहा कि मनरेगा पिछले दो दशकों से करोड़ों ग्रामीण परिवारों के लिए जीवनरेखा रही है और कोविड-19 महामारी के दौरान यह योजना आर्थिक सुरक्षा कवच साबित हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि 2014 से ही नरेंद्र मोदी मनरेगा के खिलाफ रहे हैं और बीते 11 वर्षों में बजट कटौती, राज्यों का फंड रोकना, जॉब कार्ड हटाना और आधार आधारित भुगतान की बाध्यता जैसे कदमों से इस योजना को व्यवस्थित रूप से कमजोर किया गया।

उन्होंने कहा कि इन नीतियों के कारण करीब सात करोड़ मज़दूर मनरेगा से बाहर हो गए हैं और पिछले पांच वर्षों में यह योजना सालाना केवल 50–55 दिन के काम तक सिमट कर रह गई है। अनुमा आचार्य ने इसे “तानाशाही मानसिकता से प्रेरित, गरीबों से बदला लेने की कार्रवाई” बताया।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि अब तक मनरेगा संविधान के अनुच्छेद 21 से जुड़ा अधिकार था, लेकिन नया फ्रेमवर्क इसे केंद्र के नियंत्रण वाली एक सशर्त योजना में बदल देता है। इससे मज़दूरों का कानूनी अधिकार खत्म होकर केवल एक प्रशासनिक सहायता बनकर रह जाएगा, जो पूरी तरह केंद्र सरकार की मर्जी पर निर्भर होगी।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार मनरेगा का पूरा वित्तीय बोझ राज्यों पर डालना चाहती है। जहां पहले यह योजना 100 प्रतिशत केंद्र प्रायोजित थी, वहीं अब राज्यों को 40 प्रतिशत खर्च उठाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इसे उन्होंने “संघीय ढांचे के साथ वित्तीय धोखा” करार दिया।
अनुमा आचार्य ने कहा कि नए प्रावधानों से मनरेगा के तहत काम को तय अवधि के लिए रोका जा सकेगा, जिससे गरीब यह तय नहीं कर पाएंगे कि वे कब काम कर सकते हैं और कब नहीं। साथ ही, ग्राम सभाओं और पंचायतों के अधिकार छीनकर डिजिटल और केंद्रीकृत सिस्टम के हवाले कर दिए गए हैं, जिससे विकेंद्रीकरण की भावना को कुचला गया है।
उन्होंने चेतावनी दी कि मनरेगा की डिमांड-ड्रिवन प्रकृति को खत्म कर इसे बजट-सीमित योजना में बदला जा रहा है, जिससे राज्यों को अतिरिक्त रोज़गार देने के लिए केंद्र की शर्तों पर निर्भर होना पड़ेगा।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि यह कदम महात्मा गांधी के आदर्शों का अपमान है और ग्रामीण रोज़गार पर खुली जंग के समान है। उन्होंने ऐलान किया कि कांग्रेस इस जन-विरोधी, मज़दूर-विरोधी और संघीय ढांचे पर हमले के खिलाफ सड़क से लेकर संसद तक हर मंच पर विरोध करेगी।
इस प्रेसवार्ता के दौरान जिला कांग्रेस कमेटी के जिला शहर अध्यक्ष सुधांशु मिश्रा, ग्रामीण जिला अध्यक्ष महेंद्र गंगोत्री, किया विधायक अटल श्रीवास्तव,बिल्हा पूर्व विधायक सियाराम कौशिक, विजय केशवानी, विजय पाण्डेय ,सुनील शुक्ल सहित अन्य कांग्रेस नेता प्रमुखरूप से मौजूद रहे।